Tuesday, September 13, 2016

Five qualities of a man - पात्रे त्यागी गुणे रागी


Five qualities of a man – giver, virtuous, sharer, intelligent, brave.




(हिन्दी में व्याख्या नीचे दी गयी है)

(Another variation of the fourth quarter goes as ‘sa vai puruSha uchyate’ = he is said to be a man.)

Five qualities of a (real) man:
1) gives to the worthy needy (thoughtfully, not carelessly). Just giving to anyone is not a good giving. Good giving is that which gives to the worthy, needy, in right amount, at right time in the right place. There is not point giving to someone who already has, or will make bad use of it, or when it is too late or too little for the needs.

2) indulges in virtues (not vices). A real cultured man is naturally inclined towards virtues and virtuous, developing good qualities, sponsoring inculcation of good qualities. They are sponsors and pursuers of arts and sciences, dance, music, sports etc.

3) shares [prosperity] with relatives (doesn’t usurp property, or enjoy his good fortune alone). With so many inheritance laws, and land being one of the basic cause of fights from long long time, (Mahabharata!?), the real man does not cheat his relatives of their share. Even from his own share of prosperity, he shares with relatives, so no one feels jealous or inferior.

4) intelligent enough to understand shastra (classics of science and art). A real man is not just about muscles, he is equally smart and intelligent and keen thought leader as well. He is smart in real life situations, negotiator, understand his stuff so no one can fool him!

5) and brave like a warrior in battle. When the time comes, situation demands, he faces it bravely like a fierce warrior in battle.

It may not be possible for one man to have all of them, specially 4 and 5, but it is not that difficult either. Maybe today when we have forgotten how to raise good upright citizens, just (partially) skilled robozens from schools, we may think that you can either be smart academically or strong physically. But bravery is a mental virtue of not giving up, facing what may come in the fight for justice and truth.



Now the language part:
pAtre = in the worthy
tyAgI = giver , one who gives to the worthy, needy
guNe = in qualities
rAgI = one who loves
saMvibhAgI = one who divides equally
cha = and
bandhuShu = among relatives
shAstre = in shAstras, scriptures, sciences
boddhA = knower, knowledgeable
raNe = in battle
yoddhA = warrior
puruShaH = man
pa~nchalakShaNAH =(is) of five characteristic



हिन्दी व्याख्या:
पात्रे त्यागी गुणे रागी संविभागी च बन्धुषु ।
शास्त्रे बोद्धा रणे योद्धा पुरुषः पञ्चलक्षणः ॥

सुपात्र को दान देना, गुणों में रुचि, बन्धुजनों के साथ बाँट कर भोगना, शास्त्रों का ज्ञाता और रण में योद्धा - पुरुष के ये पाँच लक्षण हैं ।

(एक अन्य पाठ्यान्तर में चौथा भाग ‘स वै पुरुष उच्यते’ है ।)

सत्पुरुष के पाँच लक्षण होते हैं –
१) सुपात्र दान । केवल नाम के लिए दे दिया ऐसे नहीं – अच्छा दान वह है जो देश, काल, पात्र, मात्रा देख कर दिया जाए । समय के बाद, गलत जगह पर, गलत मात्रा में या ऐसे किसी को जो उसका दुरुपयोग करे – ऐसा दान ठीक नहीं ।

२) गुणों में रुचि । एक सुसंस्कृत पुरुष स्वभाव से ही गुणों व गुणियों की ओर आकर्षित रहता है । स्वयं गुणों को बढ़ाता है, औरों की भी सहायता करता है । संगीत, नृत्य, कला, विज्ञान आदि स्वयं भी अनुसरण करता है, अन्य लोगों को भी प्रोत्साहित करता है ।


३) बन्धुजनों के साथ बाँट कर भोगना । भूमि को लेकर बहुत पुराने समय से ही विवाद होते रहे हैं (महाभारत !?) । सत्पुरुष पैत्रिक सम्पत्ति में से बन्धुओं का भाग नहीं हड़पता, अपनी समृद्धि में से भी मिल बाँट कर खाता है जिससे किसी में ईर्षा या हीनभावना न आ जाए । गीता कहती है – जो अकेला खाता है वह पाप खाता है ।


४) शास्त्रों का ज्ञाता । शास्त्र का अर्थ है कोई ज्ञान क्षेत्र या किसी भी ज्ञान क्षेत्र में सर्वमान्य अधिकारी कार्य । पुरुष केवल शारीरिक बल का ही प्रतीक नहीं अपितु बौद्धिक बल का भी प्रतीक है । वह व्यवहारकुशल और विचारकुशल है । जीवन के पहलुओं में मध्यस्थता में कुशल, और कोई मूर्ख न बना सके इतना चतुर भी ।


५) और रण में योद्धा । जब समय आ जाए और परिस्थिति की माँग हो तो वह एक निर्भीक योद्धा की तरह लड़ता भी है ।

शायद आप सोच रहे हैं कि यह सब एक ही पुरुष के लिए सम्भव नहीं, विशेषतः ४ और ५, पर यह इतना असम्भव भी नहीं । आज जब स्कूल अच्छे जागरूक नागरिक की बजाय केवल दक्ष रोबोट बना रही है, तब लगे कि या तो बौद्धिक या शारीरिक बल ही बढ़ाया जा सकता है । लेकिन शौर्य या वीरता मानसिक गुण है, जो हमें सत्य और न्याय के लिए लड़ने की शक्ति देता है ।


और अब भाषा विश्लेषण –
पात्रे = (सु)पात्र में
त्यागी = (दान) देने वाला (अपनी वस्तु का त्याग कर किसी और को देने वाला)
गुणे = गुण में
रागी = राग/रुचि रखने वाला
संविभागी = बराबर व ठीक से बाँटने वाला
च = और
बन्धुषु = बन्धुओं में
शास्त्रे = शास्त्र में
बोद्धा = बुद्धिमान, समझने वाला
रणे = रण, युद्ध में
योद्धा = योद्धा, शूरवीर
पुरुषः = पुरुष
पञ्चलक्षणः = पाँच लक्षणों वाला (होता है)





(c) shashikant joshi । शशिकांत जोशी । ॐ सर्वे भवन्तु सुखिनः ।
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3 comments:

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